शुक्रवार, 30 मार्च 2012

सत्ता और सेक्स

सत्ता और सेक्स का घालमेल नया नहीं है. हाल ही राजस्थान की गवर्नमेंट को हिलाने वाली भंवरी देवी का केस पिछले कई दिनों से सुर्खियों में है और आने वाले कुछ दिनों या फिर कह लें कि महिनों तक न्यूज चैनल्स को इसी तरह टीआरपी दिलाता रहेगा. सत्ता का नशा और सत्ता का उपयोग अपने विलासिता के साधन जुटाने में करना….यह नेताओं के लिए नया ट्रेंड नहीं है. उत्तराखंड के वरिष्ठतम नेता नारायण दत्त तिवारी हों या फिर नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत, समय-समय पर इनका मनमोहनियों के साथ नाम जोड़ा गया है. भंवरी देवी का अपहरण हुआ है, वह बंधक है या फिर उसकी हत्या कर उसे जला दिया गया है, यह अभी तक रहस्य बना हुआ है, लेकिन इस मामले ने बुड्ढे ठरकी नेताओं की इज्जत उतार कर जरूर रख दी है. इस मामले में अपने दामन पर छींटे लगवा चुके मदरेणा की वाइफ जहां अपने पति को ही सपोर्ट कर रही है और उन्होंने यह तक कह डाला कि किसी ‘दूसरी’ के साथ अफेयर रखना क्राइम नहीं है. भंवरी देवी कोई साधारण महिला नहीं थी, बल्कि सत्ता के गलियारों में जहां उसकी ऊंची पहुंच थी, वहीं इस पहुंच को बरकरार रखने के लिए उसने शार्टकट का इस्तेमाल करने तक से गुरेज नहीं किया. भंवरी देवी के चरित्र को लेकर चर्चा करना बेकार होगा, क्योंकि किसी को कैरेक्टर सर्टिफिकेट देना हमारा काम नहीं है. यहां पर बात उन लंपट और काम पीडि़त बुड्ढों की ही की जानी चाहिए जिनके दामन पर दाग होने के बावजूद लोग इनके समर्थन में जुट जाते हैं. ईजिप्ट की महारानी किल्योपैट्रा का किंग एलेक्जेंडर के सामने समर्पण हो या फिर आज का मधुमिता हत्याकांड, नैना साहनी हत्याकांड या फिर भंवरी कांड लिस्ट लंबी है, लेकिन जो बात गौर करने लायक है वो ये है कि यहां पर शिकार केवल लड़कियां ही बनीं. अपनी भूख शांत करने के बाद हमारे देश के ठरकी पॉलिटिशियंस ने अपनी इन तथाकथित ‘प्रेमिकाओं’ को ही ठिकाने लगा दिया. उसका न तो इन्हें कभी कोई पछतावा रहा और न ही इनके फैमिली मेंबर्स को. इन्हें तो कभी शर्म आएगी नहीं, लेकिन हम जैसे लोगों को भी इनके कारनामे सामने आने के बावजूद शर्म नहीं आती और जब यह वोट की भीख मांगते हुए हमारी चौखट पर आते हैं तो समाज-नैतिकता के नाम पर दुहाई देने वाले हम लोग ही इन्हें चुनकर सत्ता में भेज देते हैं.
http://komalnegi.jagranjunction.com

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