शनिवार, 6 नवंबर 2010

कार्यस्थलो‍ पर यौन उत्पीडन पडेगा महँगा

कार्यस्थलो‍ पर यौन उत्पीडन पडेगा महँगा
अब कार्यस्थलों पर महिलाएँ सुरक्षित महसूस कर पाएंगी क्योंकि सरकार ने गुरुवार को उस विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दे दी जिसमें महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने के उपाय किए गए हैं. इस विधेयक के अनुसार कार्यस्थलों पर किसी भी तरह के शारीरिक संपर्क, उसके प्रयास या यौनाचार की पेशकश, अश्लील टिप्पणियां या अश्लील चित्र दिखाना अथवा अश्लील हावभाव प्रदर्शित करना  यौन उत्पीड़न मानी जाएगा.

इस विधेयक की परिभाषा को सुप्रीम कोर्ट में चले विशाखा बनाम राजस्थान सरकार केस के आधार पर तैयार किया गया है. यह विधेयक जब कानून की शक्ल ले लेगा तब यह सरकारी, सार्वजनिक, निजी क्षेत्रों के संगठित और गैर-संगठित क्षेत्रों पर लागू होगा. इस कानून के तहत दोषित साबित होने पर नियोक्ता को 50 हजार रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है. 

इस कानून का लाभ दफ्तर में काम करने वाली महिलाओं, उपभोक्ता, प्रशिक्षु, दैनिक या अस्थायी कर्मचारी, कॉलेज व विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं और अस्पताल जाने वाली महिला मरीजों को मिलेगा. परंतु घरों मे‍ काम करने वाली नौकरानियां इसके दायरे में नहीं आएंगी.

कहाँ की जा सकेगी शिकायत?

यदि कोई महिला स्वयं को यौन उत्पीडन का शिकार हुआ पाएगी तो वह इसकी शिकायत अपने कार्यस्थल पर बने एक आंतरिक शिकायत समिति से कर सकेगी. सभी कार्यस्थलो‍ पर ऐसी समिति का बनाना अनिवार्य होगा. परंतु यदि कार्यालय छोटा है तथा जहां कर्मचारियों की संख्या कम है तो महिलाएं उप जिला स्तर पर स्थापित स्थानीय शिकायत समिति से शिकायत कर पाएन्गी. 

इसके अलावा शिकायत करने वाली महिला की सुरक्षा पर भी ध्यान दिया गया है. धमकी और दबाव से बचने के लिए पीड़ित महिला तबादले की मांग कर सकती है अथवा छुट्टी पर जा सकती है. जांच समिति को 90 दिन के भीतर जांच पूरी करनी होगी और जांच पूरी होने के बाद नियोक्ता या जिलाधिकारी को समिति की सिफारिशों को 60 दिन में लागू करना होगा


SATURDAY, 06 NOVEMBER 2010 0 तरकश ब्यूरो 

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